सांभर झील (Sambhar Lake) पर पक्षियों की मौत का मामला अब एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है. सांभर झील एक रामसर साइट (वन्य जीवों के लिए आरक्षित किए गए आर्द्र भूमि क्षेत्र यानी रामसर जोन Ramsar Site) है. करीब 5700 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैली यह खारे पानी की झील, हिंदुस्तान के एक बड़े हिस्से को नमक मुहैया कराती हैं. लेकिन आजकल इस झील के किनारों पर चारों तरफ सिर्फ परिंदों के पंख ही पंख बिखरे पड़े हैं. हर तरफ मौत का सन्नाटा है, जहां कभी कलरव गुंजा करता था, वो किनारे खामोश से नजर आ रहे हैं. सांभर झील पर प्रवास पर आने वाले पक्षियों (Migratory Birds) की तादाद पिछले कुछ सालों के मुकाबले इस बार दोगुनी होने की उम्मीद थी. क्योंकि बारिश अच्छी हुई थी अभी भी झील में करीब 2 लाख पक्षी ज़िंदा मौजूद हैं, जिन्हें इस गुमनाम बीमारी से बचाना जरूरी है. हालात यह हैं कई विभागों की कई टीम मिलकर के पिछले 14 दिन से काम कर रहीं हैं, वे सिर्फ शव हटा रहे हैं. असल में उन्हें नहीं पता कि मर्ज (Cause Not Ascertained) क्या हैं और इसका इलाज क्या है?
दरअसल, देश की 8 सबसे बड़े वन्यजीव, पक्षी और वायरस खोज से जुड़े संस्थान कुछ नहीं बता सके, आज तक नतीजा शून्य है. सांभर झील में मारे गए पक्षियों की तादाद आधिकारिक तौर पर 20 हजार को पार कर चुकी है, जब 10 नवंबर को इस खबर की पड़ताल की तो करीब 10000 पक्षियों की मौत का अंदाजा लगाया था. 27 अलग अलग तरह की प्रजातियों की गिनती की. ये भी बताया कि किनारे पर रहने वाली प्रजातियों पर ज़्यादा असर है. उस वक्त तमाम विभागों के जिम्मेदार आला अधिकारी एकदम से खिल्ली सी उड़ाने लगे थे और कहने लगे कि सौ ज्यादा परिंदे नहीं मरे.
किसी भी मामले को लेकर के 2 तरह की सोच होती है. एक तो उसमें सुधार किया जाए या फिर उसे नकार कर दबा दिया जाए. यही गलती सरकारी लोगों से भी हुई. उन्होंने इसे नकार करके दबाने की कोशिश की. और ये इतनी खतरनाक साबित हुई कि आज मारे गए परिंदों की तादाद 20 हज़ार को पार कर चुकी है. और यह सिलसिला अब तक जारी है.
मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के प्रसंज्ञान लेने के बाद में, कार्रवाई में तेजी आई. उसी के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी लगातार बैठक की. तीन बैठक सिर्फ सांभर झील के मामले को लेकर ली हैं. अधिकारी रिपोर्ट पेश कर चुके हैं, ग्राउंड जीरो के हालात बता चुके हैं,
तमाम जिम्मेदार विभागों को और संस्थानों को मिला जुला कर के मौके पर काम करने के लिए आगे भेजा जा रहा है.